इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें । उस सुबह हम रामपुर में थे। रामपुर बुशैहर- बुशैहर राज्य की नवीनतम राजधानी। पहले इसकी राजधानी सराहन थी जहां अक्सर बर्फीली आंधियां चला करती थीं क्योंकि सराहन एक खुली जगह पर स्थित है। इससे दुखी और परेशान होकर राजा साहब ने राजधानी बदलने का निर्णय लिया और रामपुर चले आये। रामपुर सतलुज के किनारे सराहन से बहुत नीचे एक संकरी घाटी में स्थित है। इतना नीचे कि बर्फ पडना तो दूर सेब तक नहीं होते। हम भी रात को सोये थे तो पंखा चलाना पड गया था। सन्दीप ने इस यात्रा की योजना बनाते समय पहले ही बता दिया था कि सीधे जायेंगे तो जरूर लेकिन सीधे आयेंगे नहीं बल्कि रोहडू, त्यूनी, चकराता होते हुए आयेंगे। रामपुर से करीब दस किलोमीटर शिमला की तरफ चलने पर नोगली नामक गांव आता है। यहां से रोहडू के लिये रास्ता जाता है। वैसे रोहडू का पारम्परिक और लोकप्रिय रास्ता शिमला से आगे ठियोग से जाता है। एक रास्ता नारकण्डा से भी जाता है। नोगली से एक नदी के साथ साथ रास्ता ऊपर चढता है, सडक बढिया है। करीब दस किलोमीटर के बाद तकलेच गांव आता है। हम रामपुर से बिना कुछ खाये पीय
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग