इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें । मैं रक्सौल स्टेशन पर था और थोडी देर में सीमा पार करके नेपाल में प्रविष्ट हो जाऊंगा। रक्सौल का नेपाली भाई बीरगंज है। यानी सीमा के इस तरफ रक्सौल और उस तरफ बीरगंज। स्टेशन से करीब एक किलोमीटर दूर सीमा है। इस बात की जानकारी मुझे गूगल मैप से मिल गई थी। मैं अपने मोबाइल के उसी नक्शे के अनुसार रक्सौल स्टेशन से सीमा की तरफ बढ चला। स्टेशन पर कई तांगे वाले खडे थे, जो मुझे देखते ही पहचान गये कि यह नेपाल जायेगा। मैंने उन सभी को नजरअन्दाज किया और आगे बढ गया। तभी पीछे से एक तांगे वाला आया और खूब खुशामद करने लगा कि मैं तुम्हे सीमा पार करा दूंगा। पैसे पूछे तो उसने अस्सी रुपये बताये। मैंने एक किलोमीटर के लिये अस्सी रुपये देने से मना कर दिया। तब वो बोला कि सीमा से भी दो-तीन किलोमीटर आगे काठमाण्डू की बसें मिलती हैं। चूंकि शाम के छह बज रहे थे और तांगे वाले के अनुसार सीमा बन्द होने का समय नजदीक आ रहा था, मैं पचास रुपये तय करके उसके साथ हो लिया। साथ ही यह भी तय हुआ कि जहां से काठमाण्डू की बस मिलेगी, वो मुझे वहीं ले जाकर छोडेगा। मैंने उससे पक्
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग