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रोरिक आर्ट गैलरी, नग्गर

इस यात्रा वृत्तान्त को आरम्भ से पढने के लिये यहां क्लिक करें
नग्गर का जिक्र हो और रोरिक आर्ट गैलरी का जिक्र न हो, असम्भव है। असल में रोरिक ने ही नग्गर को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दी है। निकोलस रोरिक एक रूसी चित्रकार था। उसकी जीवनी पढने से पता चलता है कि एक चित्रकार होने के साथ-साथ वह एक भयंकर घुमक्कड भी था। 1917 की रूसी क्रान्ति के समय उसने रूस छोड दिया और इधर-उधर घूमता हुआ अमेरिका चला गया। वहां से वह भारत आया लेकिन नग्गर तब भी उसकी लिस्ट में नहीं था। पंजाब से शुरू करके वह कश्मीर गया और फिर लद्दाख, कराकोरम, खोतान, काशगर होते हुए तिब्बत में प्रवेश किया। तिब्बत में उन दिनों विदेशियों के प्रवेश पर प्रतिबन्ध था। वहां किसी को मार डालना फूंक मारने के बराबर था। रोरिक भी मरते-मरते बचा और भयंकर परिस्थितियों का सामना करते हुए उसने सिक्किम के रास्ते भारत में पुनः प्रवेश किया और नग्गर जाकर बस गये। एक रूसी होने के नाते अंग्रेज सरकार निश्चित ही उससे बडी चौकस रहती होगी।

खैर, चित्रकारी में वह प्रसिद्ध तो पहले से ही था, भारत आकर जब वह स्थापित हो गया तो और भी ज्यादा प्रसिद्धि मिलने लगी। 13 दिसम्बर 1947 को यहीं पर उनकी मृत्यु हुई। उनके घर को ही अब संग्रहालय का रूप दे दिया गया है और रोरिक आर्ट गैलरी के नाम से जाना जाता है। इसी में उनके चित्रों का संग्रह है। इन्हीं में से एक चित्र जवाहर लाल नेहरू व इन्दिरा गांधी का भी है। इन्दिरा बडी अच्छी लग रही है। रोरिक का घर बिल्कुल साफ सुथरा है और बन्द ही रहता है। दर्शकों को बाहर ही बाहर गैलरी में घूम-घूमकर व खिडकियों-दरवाजों के अन्दर झांक-झांककर इसे देखना होता है। वास्तव में इसके ठाठ देखकर बडा दिल जलता है। तब वे जिस कार का प्रयोग करते थे, वह भी यहां सुरक्षित खडी है। इसमें प्रवेश का शुल्क पचास रुपये है।
आर्ट गैलरी से कुछ पहले नग्गर का किला भी है। पहले यह कुल्लू के राजाओं का महल हुआ करता था। बाद में उन्होंने इसे अंग्रेजों को बेच दिया। आजादी के बाद यह भारत सरकार के नियन्त्रण में आ गया और इसे दर्शनीय स्थल बनाने हेतु राष्ट्रीय धरोहर बना दिया गया। आज इसमें हिमाचल पर्यटन का एक होटल है। यह इस इलाके की अन्य इमारतों की तरह लकडी व पत्थर से बना है व भूकम्परोधी है। इसमें भी प्रवेश का शुल्क लगता है, फोटो खींचने का शुल्क अलग से है। हम यहां तक आते-आते पसीने पसीने हो गये थे। कारों में मनाली घूमने आये रईस साफ-सुथरे ‘टूरिस्टों’ की भीड में हमने घुसना ठीक नहीं समझा और इसे बाहर से ही प्रणाम करके आगे बढ चले।
निकोलस रोरिक का घर

इस फोटो में बायें नेहरू है तो बीच में इन्दिरा।




यहां से दिखता ब्यास घाटी का विहंगम नजारा



रोरिक की एक कलाकृति


रोरिक की कार



अगला भाग: चन्द्रखनी ट्रेक- रूमसू गांव

चन्द्रखनी ट्रेक
1. चन्द्रखनी दर्रे की ओर- दिल्ली से नग्गर
2. रोरिक आर्ट गैलरी, नग्गर
3. चन्द्रखनी ट्रेक- रूमसू गांव
4. चन्द्रखनी ट्रेक- पहली रात
5. चन्द्रखनी दर्रे के और नजदीक
6. चन्द्रखनी दर्रा- बेपनाह खूबसूरती
7. मलाणा- नशेडियों का गांव




Comments

  1. aap k sath hm v ghum liye....

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  2. अत्यंत ज्ञानवर्धक जानकारी नीरज भाई। भारतीय सभ्यता हमेशा से विदेशी बुद्धिजीवी वर्ग को सम्मोहित करती आई है। गर्व है।
    वैसे रोरिक साहब को वैश्विक शांति के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया जा चुका है।

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  3. नीरज भाई किसी भी चीज की [रोरिक] इतनी गहराई से जानकारी लेकर उसको शब्दों में उड़ेलकर समझाने की आपकी कला वास्तव में तहे दिल से तारीफ के काबिल है.
    धन्यवाद.

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  4. मैं कई बार नग्गर जा चूका हूँ. इस गैलिरी के सामने से भी कई बार गुज़रा हूँ. पर मेरी रोरिक के बारे में सोच यह थी की यह कोई रूसी-ज्यू गंजेड़ी कलाकार होगा, जैसे कसोल में पड़े रहते हैं. इसीलिए कभी उत्सुकता नहीं हुई. अब अन्दर जाकर देखूंगा.

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    1. नहीं, सभी नशेडी गंजेडी नहीं होते।

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  5. बहुत सुन्दर और रोचकता से भरपूर नीरज भाई........ एक फोटो में आपने 'विहंगम' शब्द का इस्तेमाल किया है। कृपया 'विहंगम' और 'सुंदर' शब्द में अंतर बता दीजिये।

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    1. ‘विहंगम’ और ‘सुन्दर’ में अन्तर...
      नहीं पता।

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    2. Vihagam means bird's eye view

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    3. जहाँ तक मुझे पता है विहंगम मतलब पैनोरामिक होता है

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    4. विशाल जी,
      विहंगम शब्द विहंग से बना है , विहंग का मतलब चिड़िया होता है , अंगरेजी में इसे Bird's eye view कहते है. जैसे ऊपर से चिड़िया देखती है ऐसा नजारा
      ब्रजेश मिश्रा

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  6. सर जी अबकी बार छोटी छोटी पोस्ट अपडेट कर रहे हो.

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    1. yr sir ji ko shikayat mt kro bdi muskil se to ye bole bhandari mane hkanhi fir naraj ho gye to 3 mahino ka hangover ho jayega....
      fir ye 6oti post v ni milengi

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    2. तसल्ली रखो, सचिन भाई। बडी पोस्टें भी आयेंगी।

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    3. नहीं रोहित भाई... यह एक धरोहर है। इसे किराये पर नहीं लिया जा सकता। और न ही विशेष आज्ञापत्र के बिना इसके सभी कमरों में घूमा जा सकता।

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  7. इलाहाबाद संग्रहालय में तो एक वीथिका रोरिक को समर्पित है। शानदार प्रस्तुति।

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  8. yahan per ek yellow colour ki car bhi hogi.....

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  9. जहाँ तक मुझे पता है विहंगम मतलब पैनोरामिक होता है

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  10. दिलचस्प यात्रा ---पढ़ने को कब से बेकरार थे --

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  11. कुछ दिन पहले ही 16 अप्रैल से 23 तक , हम हिमाचल में घूमे . नग्गर में यह आर्ट गैलरी भी देखी . अब जरूरी लगा कि आपका यह संस्मरण भी पढ़ूँ . सब कुछ वैसा ही ..हाँ लिखने का नजरिया व शैली और भी उत्कृष्ट है .

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  12. निकोलस रोरिक आर्टिस्ट के इतिहास ,उनकी कला ,उनका निवास आदि का बखूबी चित्रण किया है इस पिस्ट मे

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