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विशाखापट्टनम- चिडियाघर और कैलाशगिरी

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मुझे विशाखापटनम में जो सबसे अच्छी जगह लगी, वो थी चिडियाघर। मेरी इच्छा नहीं थी जाने की, लेकिन सुनील जी के आग्रह पर चला गया। पन्द्रह-बीस मिनट का लक्ष्य लेकर चले थे, लग गये दो घण्टे। बाहर आने का मन ही नहीं किया। बाकी कहानी फोटो अपने आप बता देंगे।
पांच बजे यहां से निकले तो कैलाशगिरी पहुंचे। जैसा कि नाम से ही विदित हो रहा है, यह एक पहाडी है। विशाखापटनम शहरी विकास प्राधिकरण ने इसे एक शानदार पिकनिक स्थल के तौर पर विकसित किया है। ऊपर जाने के लिये रोपवे भी है। यहां से विशाखापटनम का विहंगम नजारा दिखता है। रामकृष्ण बीच दिखता है और उसके परे बन्दरगाह। इसकी भी कहानी फोटो बतायेंगे। यहां एक टॉय ट्रेन भी चलती है जो कैलाशगिरी का चक्कर लगाती है। हालांकि हमने इसमें यात्रा नहीं की।

सुबह ट्रेन से उतरे और ऑटो लेकर घूमने चल दिये। घूमते ही रहे, फोटो खींचते रहे और अब जब शाम हो चुकी, अन्धेरा होने लगा तो थकान भी हो गई। हमने कहीं बैठकर खाना तक नहीं खाया था। विशाखापटनम का सबसे दर्शनीय स्थल है आरके बीच यानी रामकृष्ण बीच। मैंने इसे देखने से मना कर दिया। सुनील जी ने कहा भी कि पन्द्रह मिनट में निपटा लेंगे, लेकिन मुझे यह भी मंजूर नहीं था। हालांकि ऑटो इसी बीच के पास वाली सडक से होकर रेलवे स्टेशन पहुंचा था।
विशाखापटनम को पहले वाल्टेयर भी कहते थे। विजाग या वाईजाग या वाईजैग भी इसी का नाम है। मैं इसे केवल बन्दरगाह शहर के तौर पर ही जानता था। यहां घूमकर पता चला कि यह तो वाकई बेहद सुन्दर और सुव्यवस्थित शहर है। दोबारा आने के लिये कोई बहाना तो चाहिये। वो बहाना रामकृष्ण बीच ही सही।






यह है सफेद बाघ का बाडा। चित्र में बायें दर्शक दिख रहे हैं तो दाहिने सफेद बाघ। बीच में गहरी खाई है जिसे बाघ पार नहीं कर सकता। इसी तरह दिल्ली चिडियाघर में भी है।



यह है तेंदुआ। इसे चारों तरफ से लोहे के पिंजरे में रखना पडता है, यहां तक कि पिंजरे की छत भी जालीदार होती है। यह बडा दुस्साहसी जीव होता है।

चीता भारत में केवल चिडियाघरों में ही मिलता है।


गिब्बन




लेमूर


गैण्डा और उसकी सवारी करता कौवा



चिडियाघर के अन्दर सडक


पास ही एक पार्क




कैलाशगिरी से दिखता नजारा

कैलाशगिरी पर छोटी टॉय ट्रेन










अगला भाग: किरन्दुल लाइन-1 (विशाखापट्टनम से अरकू)

3. विशाखापट्टनम- चिडियाघर और कैलाशगिरी




Comments

  1. Nice photo , tasvir hi kahani he jo is lekh ko jinda bana diya .

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  2. नीरज जी, चिडयाघर तो वाकइ शानदार है। लेकिन आपने लिखा बहुत कम है। पोस्ट में देखने के लिए तो बहुत है लेकिन पढ़ने के लिए कुछ भी नहीं।

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    1. ये तो होता ही रहता है। कभी फोटो नहीं तो कभी पढने के लिये नहीं।

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  3. चिड़ियाघर के फोटो बहुत ही शानदार लगे.....

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  4. नीरज भाई , आज की पोस्ट के फोटो देखकर विवरण पढ़ने की आवश्कता ही नही रही। हर फोटो अपनी कहानी खुद ही कह रहा है। प्रशंसा के लिए केवल एक शब्द -जीवंत फोटोग्राफी।

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  5. Neeraj bhai........
    Saandar photo chidiaghar k.......
    Ranjit....

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  6. upar se 4th pic me bhalu hai na?

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    1. हां जी, भालू है- काला भालू।

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  7. नीरज जी ,आपके ब्लाग का भ्रमण करके यह मलाल जाता रहता है कि हमने यह नही देखा ..वह नही देखा । सुन्दर सचित्र और इतना रोचक यात्रा-वृत्तान्त पढ़ना एक उपलब्धि है हर प्रकृति-प्रेमी के लिये ।

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    1. धन्यवाद गिरिजा जी। इस तरह की उत्साहवर्द्धक टिप्पणियां मिलना भी हर लेखक के लिये एक उपलब्धि है।

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  8. नीरज भाई हम जहां जाते है,वहां तो इन्जोय करते ही है पर बाद में अपने खीचें फोटो को देखकर ज्यादा इन्जोय करते है.
    वाकई चिडियाघर के फोटो लाजबाव है,सभी फोटोओ को देख कर मजा आया,
    ऐसे ही घुमक्कडी करते रहो ओर नई नई जगह घुमाते रहो.....धन्यवाद

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  9. हमेशा की तरह सुंदर सचित्र विवरण। कृपया इस रहस्य से पर्दा उठाइए कि आप घुमने के लिए इतना समय कैसे निकाल पाते है। आखिर मेट्रो रेलवे आपको इतनी छुट्टियाँ स्वीकृत कैसे करता है

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    1. विशाल जी, इसमें कोई रहस्य नहीं है। सभी छुट्टियां वैध होती हैं, वैधानिक तरीके से ली जाती हैं और तब ली जाती हैं जब ऑफिस से कोई दूसरा छुट्टी न ले रहा हो। उस समय केवल मैं ही छुट्टियां लेता हूं और आसानी से स्वीकृत हो जाती हैं।

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  10. I think ye photos aapke best photos m se ek h,Vaakai maza aa gya itne sundar photos dekhkar.
    Thanks to u.

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  11. जाट का नया अवतार ।
    कछै-कछै में।

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  12. बहुत ही सुन्दर जानवर दिखाई दे रहे है --विशेषकर बंदर --ट्रॉय ट्रैन और रोप -वे में भी सफर करना था --बहुत ही सुन्दर शहर है

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