आज हम जल्दी उठे और साढे छह बजे तक कमरा छोड दिया। आज हमें चौरागढ जाना था और वापस आकर दोपहर से पहले पचमढी छोड देना था। कल हम महादेव गये थे, जो कि पचमढी से दस किलोमीटर दूर है। आज भी सबसे पहले महादेव ही गये। रास्ते भर कोई नहीं मिला। लेकिन महादेव जाकर देखा तो हमसे पहले भी कई लोग चौरागढ जाने को तैयार मिले। दुकानें खुली मिलीं और उत्पाती बन्दर भी पूरे मजे में मिले। पार्किंग में बाइकें खडी करने लगे तो दुकान वालों ने कहा कि उधर बाइक खडी मत करो, बन्दर सीट कवर फाड देंगे। यहां हमारे पास खडी कर दो। उनके कहे अनुसार बाइक खडी कीं और उनके ही कहे अनुसार सीटों पर पत्थर रख दिये ताकि बन्दर सीटों पर ज्यादा ध्यान न दें। पैदल रास्ता यहीं से शुरू हो जाता है हालांकि सडक भी थोडा घूमकर कुछ आगे तक गई है। करीब एक किलोमीटर बाद सडक और पैदल रास्ते मिले हैं। हमें किसी ने नहीं बताया इस बारे में। बाइक वहां तक आसानी से चली जाती हैं और उधर बन्दरों का आतंक भी नहीं है। खैर।
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग