इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें । अतुल के साथ की गई अल्मोडा जिले की यात्रा में कई बातें ऐसी हैं जो अभी तक नहीं लिखी गईं। 22 फरवरी 2011 की सुबह-सुबह मैं, अतुल, रमेश, कैलाश और भुवन एक साथ घर से निकले। हम उस समय तक रमेश, कैलाश और भुवन के घर भागाद्यूनी में थे। रमेश और कैलाश को वापस दिल्ली आना था, भुवन को किसी काम से मुक्तेश्वर जाना था जबकि मुझे और अतुल को जाना था अल्मोडा। मेरी और अतुल की बोलचाल कल से ही बन्द थी। कारण था कि मैं कल उसके साथ गांव में घूमने नहीं गया था। ऊपर मोतियापाथर से हिमालय का नजारा शानदार दिखता है लेकिन दिमाग खराब होने की वजह से अतुल को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी। उसके मूड को देखते हुए मुझे लग रहा था कि कहीं वह रमेश के साथ ही दिल्ली कूच ना कर ले। मैं इस हालात के लिये भी तैयार था कि मुझे अगले दो दिन अकेले भी बिताने पड सकते हैं। खैर, हल्द्वानी की बस आई और रमेश और कैलाश उसमें बैठकर चले गये। तब मामला स्पष्ट हुआ कि अब अतुल मेरे साथ ही जायेगा। हमारा आज का दिन बेहद व्यस्त रहा। लगभग पूरा दिन ही बस में गुजर गया। मोतियापाथर से आठ किलोमीटर आगे
नीरज मुसाफिर का यात्रा ब्लॉग